नाटक “गर्भ” मनुष्य के मनुष्य बने रहने का संघर्ष है.नाटक मानवता को बचाये रखने के लिए मनुष्य द्वारा अपने आसपास बनाये (नस्लवाद,धर्म,जाति,राष्ट्रवाद के) गर्भ को तोड़ता है. नाटक समस्याओं से ग्रसित मनुष्य और विश्व को इंसानियत के लिए, इंसान बनने के लिए उत्प्रेरित करता है ..क्योकि खूबसूरत है ज़िन्दगी !
लेखन - निर्देशन : रंगचिंतक मंजुल भारद्वाज
कलाकार :अश्विनी नांदेडकर, सायली पावसकर, कोमल खामकर, तुषार म्हस्के एवं अन्य कलाकार.