नाटक : गांधी और मैं
लेखन, निर्देशन और अभिनय : मंजुल भारद्वाज
स्थल : युसूफ मेहरअली सेंटर मंच , बापू कुटी , पनवेल
थियेटर ऑफ़ रेलेवंस
प्रस्तुति : 2 अक्टूबर, 2022, रविवार , सुबह 11 बजे
गांधी जी के जन्मदिन यानी 2अक्टूबर को नए नाटक ' गांधी और मैं ' को मंचित किया! नाटक के मंचन से आत्म आक्रोश को सुकून मिला !
रंगकर्म की सृजन शक्ति ,कल्पना ,यथार्थ , रंग शिल्प, दर्शक ,सकारात्मक बदलाव ,व्यक्ति , शिक्षा ,नारा, मुखौटा और जीवन ... विविध पहलुओं का एक साथ और समग्र होना .. अनोखी अनुभूति हुई ...
नाटक गांधी क्या थे?,उन्होंने क्या किया इस पर नहीं है ! नाटक आज के समय में गांधी हमारे जीवन में कहां है इसकी खोज,जांच-परख करते हुए कलाकार और दर्शक समाज के दोगलेपन और पाखंड को कलात्मक ऊर्जा की तपिश में तपाता है!
मैं आभारी हूं अपने दर्शकों का !:मुझे अदभुत दर्शक मिले एक ओर वरिष्ठ गांधीवादी ,गांधी के साथ रहे G.g. Parikh थे तो दूसरी ओर 14, 15 वर्ष के छात्र ,छात्राएं, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, मध्यवर्ग का संभ्रांत समूह और रंग कलाकार ! कुल संख्या 200 के पार थी !
गांधी कलाकार के अभिनय से दर्शकों में उतरता रहा ! संवाद ,दर्शकों से सीधे प्रश्न - प्रति प्रश्न का ताना बाना बुनते हुए गांधी दर्शकों के जहन में उतरता गया ! गांधी को पुस्तकों, जुमलों के बाहर अपने जीवन में खोजने ,महसूस करने की प्रकिया जब जीवन के पाखंडों को पिघलाने लगी तभी दर्शकों में उपस्थित शिक्षक की विकारधारा गांधी की विचार धारा को सह नहीं पाई ।
नाटक का मध्यांतर हुआ । नाटक का दूसरा हिस्सा बापू कुटी में प्रस्तुत हुआ ! एक तरह से गांधी अपनी बकरी को घास चराने चले गए थे !
एक अद्भुत रंग प्रयोग !
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विस्तार से फिर कभी ...
-मंजुल भारद्वाज